दिनांक: 16 जून 2025
स्थान: [गांव – कचोर , ज़िला- सीतामढ़ी ]
गांव की सेवा, समर्पण और विकास को अपना कर्तव्य मानने वाले श्री लक्ष्मीकांत झा ने आज दिनांक 16 जून 2025 को पंचायती चुनाव के लिए मुखिया पद हेतु नामांकन दाखिल किया। यह क्षण केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि पूरे गांववासियों के विश्वास, आशाओं और आशीर्वाद का प्रतीक है।
गांव में वर्षों से सेवा का सफर
लक्ष्मीकांत झा का जीवन गांव की गलियों, खेतों और आम लोगों की परेशानियों से जुड़ा रहा है। उन्होंने हमेशा लोगों के बीच रहकर उनकी समस्याएं सुनीं और बिना किसी पद के, जो बन सका वो मदद की। चाहे किसी को सरकारी कागजात में सहायता चाहिए हो या कोई छोटा-बड़ा पारिवारिक मसला – झा जी हर समय लोगों के साथ खड़े दिखाई दिए।
उनकी यही सादगी और निस्वार्थ सेवा ने उन्हें गांव के हर इंसान के दिल में एक खास जगह दी है।
नामांकन के दौरान मिला गांव का साथ
नामांकन के दिन लक्ष्मीकांत झा जब कार्यालय पहुंचे, तो गांव के सैकड़ों लोग उनके साथ मौजूद थे। बुजुर्गों का आशीर्वाद, नौजवानों का साथ और आसपास के लोगों की मौजूदगी ने यह साफ कर दिया कि इस बार गांव की आवाज़ क्या है।
फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया गया और चेहरे पर जो आत्मीय मुस्कान थी, वो इस रिश्ते को बयां कर रही थी – एक ऐसा रिश्ता जो राजनीति से नहीं, भरोसे और साथ से जुड़ा है।

सिर्फ बातें नहीं, असली काम में विश्वास
लक्ष्मीकांत झा ने कभी मंच पर खड़े होकर वादों की भरमार नहीं की। उन्होंने चुपचाप, लेकिन लगातार लोगों के काम किए हैं – कभी राशन कार्ड बनवाने में मदद की, तो कभी वृद्ध पेंशन के लिए आवेदन करवाया। रोज़मर्रा की समस्याओं को समझना और उसका हल निकालना, यही उनका असली चुनाव प्रचार रहा है।
गांव में लोग आज भी यही कहते हैं –
“जब बिना पद के इतना कुछ किया है, तो पद मिलने पर हमलोगो की कितना मदद करेंगे ”
जनता का साथ ही उनकी असली ताकत है
गांव के हर कोने से उन्हें भरपूर समर्थन मिल रहा है। वे हर तबके के लोगों से जुड़े हैं – चाहे खेत में काम करने वाले हों, दुकान चलाने वाले हों या घर की जिम्मेदारी उठाने वाले। सभी कहते हैं कि झा जी से कोई भी अपनी बात बिना हिचक के कह सकता है।
उनकी पहचान एक ऐसे व्यक्ति के रूप में बनी है, जो लोगों की बातों को सुनता है, समझता है और तुरंत कार्रवाई करता है।
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सालों से सेवा, अब नेतृत्व की बारी
सेवा तो वर्षों से करते आ रहे हैं, अब गांव के लोग चाहते हैं कि उन्हें मुखिया बनाकर अधिकार भी दिया जाए, ताकि कोई भी सरकारी काम हो – वो और जल्दी, आसानी से हो सके।
लक्ष्मीकांत झा वो इंसान हैं जिनसे लोग बिलकुल खुलकर बात कर सकते हैं, चाहे जो भी बात हो।
उन्हें न किसी दिखावे की जरूरत है, न भाषण की – बस काम करने का जुनून है, जो गांव ने खुद देखा और महसूस किया है।
लक्ष्मीकांत झा: भरोसे का नाम, सेवा की पहचान
यह चुनाव सिर्फ किसी को जीताने का नहीं है, बल्कि एक ऐसे चेहरे को सामने लाने का है जो हर घर से जुड़ा है।
जिसने गांव में रहकर गांव की सेवा की, लोगों के सुख-दुख में भागीदार बना, और किसी भी परेशानी में सबसे पहले खड़ा नजर आया।
लक्ष्मीकांत झा को देखकर लोग यही कहते हैं कि –
“हमारा आदमी है, हमारे बीच का है, और हमारे लिए काम करता है।”
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